ऐसे जीने का मजा क्या है,
कोई साथ नहीं जीने के लिए,
इस्से और बड़ी सजा क्या है???
जो जीना है इस जिंदगी को अकेले ही,
तो फिर अब जीना बचा क्या है???
ख्वाहिश हमारे सपनो की,
झटके में कुबूल हुई इसमें दुआ क्या है??
हम बेतहाशा मोहोब्बत करते रहे/,
फिर भी वो हमें न मिले,
तो फिर उनमे खुदा क्या है???
इतने तनहा भी न थे कभी,
इतने तनहा भी न थे कभी,
न कभी जीने की वजह सोची थी,
शराब का सहारा फिर भी न लिया,
अब तो ये तनहाई ही एक नशा सा है....!!
दुनिया ने तो हमें कबका पराया कर दिया,
खुद सभी प्यार कैसे करें?
ये दिल अब हमसेही रूठा सा है..!!
हम तो एक अनाड़ी थे खेल के,
सिर्फ आप थे हमारी मंजिल,
पर हार-जित न हुई तो वो खेल क्या है???
और जो अजीब न हुई वो दास्तां क्या है???
आपके लिए तो हम ताउम्र रुक जाते,
इंतहान उस इंतजार की दे जाते, क्यूंकि
जो बेचैनी न हो वो इन्तजार क्या है???
जिसमे दिल न टूटे वो प्यार क्या है….!!!!
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